आरटीआई रिपोर्ट ने खोली खुले में ‘शौच मुक्त’ घोषित किए गए राज्य की हकीकत
कुछ महीने पहले की ही बात है जब गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य था जिसे खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता की तरफ सफलता का पहला कदम भी माना था. लेकिन हाल ही में आरटीआई रिपोर्ट ने इन दावों की पोल खोल कर रख दी है.इस आरटीआई में खुलासा हुआ है कि गुजरात को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए अभी लाखों शौचालयों की जरूरत है.
सूचना विभाग को दी गई एक आरटीआई के जवाब में गुजरात के दाहोद जिले में ही लाखों शौचालयों की जरूरत है. अधिकारियों ने बताया कि इस साल मई-जून तक 1 लाख 40 हजार परिवारों को स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के अंतर्गत शौचालय देना था. जबकि, इन शौचालयों को अभी तक इन परिवारों को नहीं दिया जा सका है.ऐसा नहीं है कि शौचलयों की कमी सिर्फ एक ही जिले हैं है.आरटीआई में बताया गया है कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में शौचालयों की कमी है. आरटीआई के अनुसार वडोदरा के 17,874, छोटा उदयपुर के 26,687, कच्छ के 14,878, पाटन में 27,180, महीसागर के 19,526, सबर कन्था के 34,607 और अमरेली जिले के 21,320 परिवारों के पास अभी तक शौचालय नहीं है.
हालांकि इस मामले पर अधिकारियों का कहना है परिवारों के एक जगह से दूसरी जगह जाने और अलग-अलग रहने की वजह से नए शौचालयों की जरूरत हर साल पड़ती है.वहीं अधिकारियों ने ये भी बताया कि ये सामान्य बात है क्योंकि आजकल हर परिवार में किसी कारण अलग रहना पड़ता है जिसके चलते ऩए शौचालयों की जरूरत पड़ती रहेगी.बता दें कि 2 अक्टूबर 2014 को पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी. इस अभियान के तहत ही देश के राज्यों में शौचालयों का निर्माण करना था.देश को खुले में शौच मुक्त बनाने केंद्र-राज्य की भागीदारी से शौचालयों का निर्माण करा रही है. इसके तहत जिला स्तर के शहरी और ग्रामीण इलाकों में शौचालयों के लिए सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाता है.
राज्य ग्रामीण विकास विभाग के मुताबिक 2014 में गुजरात सरकार ने 32 लाख शौचालय बनवाए थे. जिनमें राज्य सरकार ने 2,893 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जिसमें 1778.96 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिए थे.बता दें, कि फरवरी में केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोकसभा में गुजरात समेत देश के 11 राज्यों को खुले में शौच मुक्त कर दिया था. जिसके बाद राज्य की विधानसभा में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक रिपोर्ट दी. इस रिपोर्ट में कैग ने बताया कि गुजरात के आठ जिलों में किए गए सर्वे में 30 प्रतिशत घरों में शौचालय ही नहीं है.