Padma Shri Award 2021 : कौन हैं तुलसी गौढ़ा ?पद्मश्री पुरस्कार हासिल करने वाली इस महिला को क्यों कहा जाता है ‘जंगल की विश्वकोश’
padma shri award : कर्नाटक में ‘जंगल की विश्वकोश’ कही जाने वाली 72 वर्षीय महिला तुलसी गौड़ा को सोमवार को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिया गया ये सम्मानित पुरस्कार “भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार” है।
इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। इस दौरान तुलसी गौड़ा अपने पारंपरिक वस्त्रों में नंगे पैर राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार लेने पहुंची तो उन्हें देखकर लोगों ने कहा कि यही है न्यू इंडिया की शुरुआत।
कौन हैं (जंगलों की ज्ञानकोश) तुलसी गौड़ा
भारतीय पुरस्कार पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली तुलसी गौड़ा का जन्म 1944 में कर्नाटक के होन्नली नाम के एक गांव में हुआ था। हक्काली जनजाति में पैदा हुईं। तुलसी के पिता के बचपन में ही गुजर गये थे। पिता के गुजरने के बाद तुलसी ने दिहाड़ी मजदूरी करना शुरू कर दिया। तुलसी ने अपनी मां के साथ 35 साल तक दिहाड़ी मजदूर के रूप में नर्सरी में काम करती रहीं।
वह ठीक से पढ़ लिख तो नहीं सकीं पर नर्सरी में काम करने से उन्हें पेड़ पौधो की अच्छी समझ हो चुकी थी। तुलसी महज 11 साल की थीं जब उनकी शादी हो गई। अपनी जिंदगी के दुखों और अकेलेपन से परेशान तुलसी पेड़ पौधों के रख रखाव में व्यस्त हो गईं। बता दें कि, उन्होंने अब तक अनगिनत पेड़ लगाए हैं। इस तरह उनकी वनस्पति संरक्षण में दिलचस्पी बढ़ने लगी और वे राज्य के वनीकरण योजना में कार्यकर्ता के तौर पर शामिल हो गईं।
क्यों दिया गया पद्मश्री पुरस्कार
2006 तुलसी को वन विभाग में वृक्षारोपक की नौकरी मिली और 14 साल के बाद आज वे सेवानिवृत्त हैं। इस दौरा पर्यावरण सुरक्षा के लिए उन्होंने पूरी निष्ठा और प्रेम से करीब 1 लाख से भी अधिक पेड़ पौधे लगाए। और जैविक विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार लेने पहुंची तुलसी गौढ़ा का पर्यावरण सुरक्षा में बहुत बड़ा योगदान रहा है। अब तक वे एक लाख से भी ज्यादा पौधारोपण कर चुकी हैं। उनके इस कार्य की लोगों ने खूब सराहना की। कार्यक्रम में मौजूद पीएम मोदी और अमित शाह ने भी उनको झुककर नमन करते हुए सम्मान दिया।
सोशल मीडिया पर उनकी ये तस्वीर काफी वायरल हो रही है जिसमें एक तरफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्हें पद्मश्री पुरस्कार दे रहे हैं और दूसरी तरफ पीएम मोदी और अमित शाह उनको प्रणाम करते नजर आ रहे हैं। बताते चलें कि सोमवार को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कारों का वितरण था। जिसमें कई नागरिकों को ये पुरस्कार दिया गया। तुलसी गौढ़ा भी अपने पारंपरिक अंदाज में इस अवार्ड को लेने पहुंची।
लोगों ने इन्हें देखकर कहा कि यही है नये भारत की शुरुआत। जंगलों में किसी एक तरह के पेड़ के बीच उनकी उत्पत्ति के लिए आवश्यक मदर ट्री की पहचान करने में तो तुलसी का जबाव ही नहीं है। इसके अलावा उन्हें बीजों की गुणवत्ता पहचानने की भी पूरी समझ है।
क्यों कहा जाता है तुलसी को “ जंगलों की ज्ञानकोश”
72 वर्षीय तुलसी से जब उनके द्वारा किए गये वृक्षारोपण की संख्या पूछी गई तो वह गिनकर नहीं बता पा रही थीं, 40 हजार पौधारोपण का अंदाजा लगाने वाली तुलसी ने 1 लाख से भी ज्यादा पेड़ पौधे लगाए हैं। पेड़ पौधों को अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली तुलसी को इसी वजह से “जंगल का इनसाइक्लोपीडिया” भी कहा जाता है।