Lt. Sujeet Success Story : गांव वालों ने सफाईकर्मी का मजाक उड़ाते हुए कहा पढ़-लिखकर अधिकारी नहीं बन जाएगा बेटा, सेना में लेफ्टिनेंट अधिकारी बनकर पिता का नाम किया रोशन
Lt. Sujeet Success Story : किसी भी सफल इंसान के पीछे काफी लोगों का हाथ होता है. उसमें माता-पिता सबसे पहले आते हैं. बच्चों के सफल होने पर सबसे ज्यादा खुशी माता-पिता को ही होती है. वहीं अगर बेटा मेहनत और लगन से पढ़ाई करे, तो माता पिता हर मुश्किल झेलकर बच्चों को पढ़ाते हैं. वो दुनिया की फिक्र किए बिना अपने बच्चों के लिए पूरी जिंदगी लगा देते हैं.
आज हम आपको जिस बच्चे की कहानी बताने जा रहे हैं उनका नाम सुजीत हैं. 21 साल के सुजीत के पिता एक सफाईकर्मी हैं. पिता चाहते हैं कि वो झाडू लगाकर सफाई का काम करते हैं तो उनका बेटा बंदूक उठाकर देश की रक्षा करे. आइए जानते हैं सुजीत की सफलता की कहानी,
कौन हैं आर्मी ऑर्डिेनेंस कॉर्प्स सुजीत
21 साल के सुजीत उत्तर प्रदेश में चंदौली जिले के बसीला गांव के रहने वाले हैं. उनकी शुरूआती पढ़ाई चंदौली में ही हुई, लेकिन गांव में अच्छा स्कूल ना होने के कारण वो अपने पिता ब्रजेंद्र के साथ वाराणसी आकर रहने लगे. वाराणसी में वो अपने पिता, छोटा भाई और बहनों के साथ रहते हैं.
वहीं, सुजीत की मां एक आशा कार्यकर्ता हैं और वो गांव में ही रहती हैं. पिता की इच्छा थी कि बच्चे अच्छी पढ़ाई करें तो वो वाराणसी आ गए. उनके पिता चाहते हैं कि बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिला सकें. वो कहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई के लिए वो कुछ भी करने को तैयार है. फिलहाल सुजीत के पिता वाराणसी में सफाईकर्मी के तौर पर काम करते हैं.
सुजीत की तरह सफल होना चाहते हैं भाई-बहन
सुजीत के पिता सभी बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं. वो कहते हैं कि बच्चे जितना पढ़ना चाहें मैं दिन-रात एक करके उनकी पढ़ाई करवाऊंगा. बच्चे अपने करियर में सफल होंगे तो परिवार के साथ साथ देश का भी नाम रोशन करेंगे. छोटे भाई-बहनों के लिए सुजीत प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके भाई-बहन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. उनका छोटा भाई आईआईटी में पढ़कर इंजीनियर बनना चाहता है. वहीं, दोनों बहनों में से एक डॉक्टर और दूसरी आईएएस अधिकारी बनना चाहती हैं।
पिता का सपना है बच्चे देश की सेवा करें
सुजीत के पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अधिकारी बनकर देश की सेवा करें. एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि वो झाडू से साफ सफाई का काम करते हैं लेकिन उनका बेटा बंदूक लेकर देश की सेवा करे. एक वाकये का जिक्र करते हुए वो कहते हैं कि 10 साल पहले जब वो अपने बेटे को पढ़ाई के लिए राजस्थान में सेना का अधिकारी बनने की उम्मीद के साथ पढ़ाई के लिए भेज रहे थे तो गांव के लोग उनपर हंस रहे थे.
गांव वालों ने पिता से मजाक करते हुए कहा था कि पढ़ा लिखाकर अधिकारी नहीं बन जाएगा बेटा, आगे चलकर उसको भी सफाई का ही काम करना है. बेटे के सफल होने पर ब्रजेद्र कहते हैं कि गांव के लोगों को उनके मजाक जवाब मिल चुका है. शनिवार को जब सुजीत का देहरादून इंडियन मिलिट्री अकैडमी स्नातक पास किया तो पिता की आंखों में आंसू और चेहरा मुस्कान से खिल उठा था. इसी के साथ वो अपने गांव के पहले ऐसे शख्स हैं जो भारतीय सेना में अधिकारी बन गए हैं.
कैडेट्स परेड समारोह में शामिल नहीं हो पाए परिजन
कोविड-19 की वजह से सुजीत का परिवार पासिंग आउट परेड टीवी पर ही देखना पड़ा। कोरोना की गाइडलाइन्स की वजह से कैडेट्स के परिजन को समारोह में शामिल नहीं कर पाए. सुजीत के लिए पासिंग आउट परेड करना अपने सपनों को साकार करने जैसा था. ऐसे में उन्होंने अपने माता पिता के चेहरों पर गर्व की झलक देखना बहुत मिस किया। वह आर्मी ऑर्डिेनेंस कॉर्प्स जॉइन करेंगे। सुजीत को उम्मीद है कि उनकी सफलता देखकर गांव के गरीब नौयुवा भारतीय सेना में अधिकारी के पद पर शामिल होना चाहेंगे.