ias anu kumari : लोगों ने कहा कैसी मां है जो पढ़ाई के लिए इतने छोटे बच्चे को छोड़ दिया, 2nd रैंक पाकर बनी आईएएस अधिकारी
ias anu kumari : सपने उनके ही सच होते हैं जिनमें सपना पूरा करने का जज्बा होता है जिनमें कुछ कर गुजरने की लगन होती है। जो परिस्थितियों से घबराते नहीं है बल्कि मुश्किलों का डटकर सामना करते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी अन्नु कुमारी की. जिन्होंंने अपनेे ढ़ाई साल केे बच्चे को आईएएस परीक्षा के दौरान खुद से दूर रखा.
इसके अलावा उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर यूपीएससी की तैयारी की. इस तैयारी के दौरान उन्हें ये तक नहीं पता था कि जो कदम उन्होंने रखा है वो सही या गलत. लेकिन मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने इस कठिन परीक्षा को पास कर लिया. उनका यूपीएससी की परीक्षा में न केवल चयन हुआ बल्कि उन्हें ऑल इंडिया में दूसरी रैंक हासिल हुई. आइए जानते हैं अन्नु के इस संघर्ष के बारे में.
कौन हैं (ias anu kumari) अन्नु कुमारी
अन्नु कुमारी का जन्म हरियाणा के सोनीपत के एक मीडिल क्लास परिवार में हुआ था। अन्नु अपने चार भाई बहनों के साथ रहती थी . पिता दिल्ली के एक अस्पताल में काम करते हैं और माता एक गृहणी हैं. अन्नु बताती हैं कि उनके घर में भैंस पालन होता था. इस बीच जो पिता की नौकरी और दूध बेचकर पैैसे आते थे वो बच्चों की पढ़ाई मेंं खर्च हो जाते थेंं. अन्नु की शुरुआती पढ़ाई हरियाणा में ही हुई.
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बचपन से ही मेधावी अन्नु कुमारी को पढ़ने में बहुत रूचि थी। दिल्ली के हिंदू कॉलेज से उन्होंने फिजिक्स मेंं डिग्री हासिल कर ली. सोनीपत से दिल्ली वो ट्रेन से रोजाना सफर करती थीं. पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उनका कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया. मुंबई की एक बैंक में उनकी नौकरी लग गई. वहां उन्होंने 2 सालों तक नौकरी की.उनका सपना आईएएस अधिकारी बनने का था लेकिन जल्द ही उनका विवाह करवा दिया गया।
उनके (ias anu kumari husband) पति का नाम वरुण दहिया हैं जो कि एक बिजनेसमैन हैं. विवाह के बंधन में बंधने के बाद इन पर जिम्मेदारियां बढ़ गई लेकिन इन्होंने अपने सपने के साथ समझौता नहीं किया। जब इनके ससुराल वालों को पता चला कि वे पढ़ना चाहतीं हैं तो उन्होंने अन्नु के फैसले का समर्थन किया एवं उनकी पढाई वापिस शुरू हो गई।
तैयारी के दौरान डेढ़ साल तक बेटे से रही दूर
कहते हैं माँ बेटे का रिश्ता बहुत गहरा होता है और जब एक माँ को अपने बेटे से दूर रहना पड़े तो इसकी पीड़ा केवल माँ ही समझती है. लेकिन अन्नु (ias anu kumari son) बहुत ही अच्छी तरह जानती थीं कि आज अगर वो अपने बच्चों से दूर रहकर यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेती हैं. तो आने समय पर वो लोगों के लिए एक नजीर बन सकती हैं. उन्होंने दिल में पत्थर रखकर अपने बेटे को मायके भेज दिया और खुद मौसी के पास रहकर तैयारी करने लगी। सफलता के लिए त्याग करना पड़ता है और अन्नु यही सोचकर रात दिन पूरी लगन के साथ तैयारी करने लगी।
लोगों ने अन्नु को सुनाई खरी-खोटी
अन्नु ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया था कि वो एक ऐसे इलाके से आती हैं जहां महिलाओं को बच्चों से अलग नहीं रखा जाता है. ज्यादातर महिलाओं को घर की जिम्मेदारियां हीं संभालनी पड़ती हैं. ऐसे में उन्हें गांव की महिलाओं से खरी खोटी बातें सुननी पड़ती थीं. अन्नु को महिलाओं द्वारा हीन भावना की नजरों से देखा जाता था. कई महिलाएं तो अन्नु को सामने ही कह देती थीं कि कैसी मां है जो इतने छोटे बच्चे को छोड़ कर पढ़ाई कर रही हैं.
एकतरफ तो इन महिलाओं की बातें और दूसरी तरफ बच्चे से दूरी अन्नु को बहुत दुख दे रही थी. कभी कभी उनके दिमाग में ये ख्याल भी आता था कि अगर वो इस परीक्षा में सफल नहीं वो पाईं तो वो क्या करेंगीं. ये बेचैनी अन्नु को पढ़ाई के लिए लगातार प्रेरित करती रहती. उन्होंने डेढ़ महीने की पढ़ाई के बाद पहली बार परीक्षा दी. इसमें वो सफल नहीं हो पाईं लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा हो गया था कि अगर वो मेहनत करती रहीं तो वो ये परीक्षा पास कर लेंगी. रात-दिन की कड़ी मेहनत और सेल्फ स्टडी को आधार बनाकर उन्होंने साल 2017 में फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी. इस बार उनकी मेहनत सफल हो गईं.
मेहनत लायी रंग प्राप्त किया दूसरा स्थान
परिवार, बेटे और नौकरी को छोड़ने के बाद अन्नु की मेहनत सफल हो गई. इनकी मेहनत के परिणाम स्वरूप संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा 2017 में इन्होंने (ias anu kumari rank) पूरे देश में दूसरा स्थान हासिल किया. इन्होंने आईएएस बनने का सपना भी पूरा कर लिया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इनकी खूब प्रशंसा की एवं इन्हें महिलाओं के लिए रोल मॉडल बताया।
जो महिलाएं अन्नु को बच्चे से दूर रहने पर बुरी नजरों से देखती थी वो भी अन्नु की प्रशंसा करने लगीं. अन्नु भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के बाद महिला सशक्तिकरण एवं महिला उत्थान पर काम करेंगी. शादी के बाद जो महिलाएं अपने जीवन के लक्ष्यों को दबा देती हैं अन्नु उनके लिए प्रेरणा हैं. परिवार और बच्चे से दूर रहकर उनकी मेहनत ने ही आईएएस अधिकारी बना दिया.