IAS Anil Basak : पिता ने बेटे की पढ़ाई के लिए गलियों में घूम घूमकर बेची साड़ियां, 45वीं रैंक हासिल कर गरीब परिवार का बेटा बना IAS अधिकारी
IAS Anil Basak : अगर आपमें किसी काम को करने का जुनून है तो आपको उस काम में सफलता जरूर मिलती है. मेहनत और लगन से किसी काम को करने से कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है. आज हम आपको जिस आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं उनका नाम अनिल बसक है.
गरीबी और मुश्किल हालातों का सामना करते हुए उन्होंने पहले तो आईआईटी की परीक्षा में टॉप किया फिर यूपीएससी की परीक्षा में ना सिर्फ सफलता हासिल की बल्कि अच्छी खासी रैंक के साथ अपने सपनों को साकार भी किया. आइए जानते हैं बुनियादी सुविधाओं की कमी के बीच अनिल बसक ने कैसे यूपीएससी परीक्षा में टॉप रैंक हासिल कर ली.
कौन हैं (IAS Anil Basak) आईएएस अनिल बसक
बिहार के किशनगंज के रहने वाले अनिल बसक एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता गली गली घूमकर साड़ियां बेचने का काम करते हैं. घर में माता पिता के अलावा अनिल अपने चार भाई बहनों के साथ रहते हैं. एक साक्षात्कार में अनिल ने बताया कि जिस दिन फेरी के दौरान पिता कपड़ों को बेच देते थे. उस दिन पेट भरकर खाना मिल जाता था. अगर व्यापार अच्छा ना हुआ तो भूखे पेट भी सोना पड़ता था. परिवार की गरीबी को देखते हुए अनिल बचपन में ही समझ गए थे कि अगर उन्हें इस गरीबी से निकलना है तो मेहनत से पढ़ाई करनी होगी. उन्होंने ऐसा किया भी.
अनिल ने अपनी बेसिक शिक्षा किशनगंज से ही पूरी की. उन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए. बुनियादी सुविधाओं की कमी होने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं किया. इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आईआईटी एग्जाम को पास कर लिया. इसके बाद उन्होंने आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. अनिल बताते हैं कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया था.
पहले प्रयास में प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाए
अनिल बसक ने इंजीनियरिंग के दूसरे साल ही यूपीएससी की तैयारी करना शुरू कर दिया था. साल 2018 में इंजीनियरिंग की नौकरी का ऑफर छोड़कर वो पूरी तरह से यूपीएससी की तैयारी करने लगे थे. हालांकि उन्हें यूपीएससी परीक्षा के पहले प्रयास में सफलता नहीं मिल पाई. करीब 3 सालों की मेहनत पर यूपीएससी परीक्षा पास ना कर पाने पर उन्हें काफी निराशा हुई.
लेकिन फिर से हौसला जुटाकर उन्होंने यूपीएससी परीक्षा का अगला प्रयास किया. दूसरे प्रयास में उन्हें 616वीं रैंक हासिल हुई. रैंक कम होने के कारण उन्होंने फिर से प्रयास किया. अनिल आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा करना चाहते थे.
45वीं रैंक हासिल कर बनें आईएएस अधिकारी
यूपीएससी के अपने दूसरे प्रयास के बाद उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियों को समझते हुए नौकरी करना शुरू कर दी. इस दौरान उन्हें आयकर आयुक्त के तौर पर काम करने का मौका मिला. लेकिन इस नौकरी से अनिल संतुष्ट नहीं थे. इसलिए उन्होंने फिर से यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला लिया.
उन्होंने अपनी नौकरी से छुट्टी लेकर फिर से यूपीएससी परीक्षा दी. इस बार उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 45वीं रैंक हासिल कर अपने सपनों को सच कर दिखाया. उनकी इस सफलता से पूरे गांव में खुशी का माहौल छा गया. अनिल अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हैं. अनिल ऐसे अभ्यर्थियों के लिए एक प्रेरणा हैं जो गरीबी के कारण अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं.