दक्षिण एशिया के इस देश में हैं सबसे ज्यादा एचआईवी संक्रमित बच्चे

दक्षिण एशिया के इस देश में हैं सबसे ज्यादा एचआईवी संक्रमित बच्चे

विश्व एड्स दिवस से एक दिन पहले यूनिसेफ ने भारत में बच्चों और किशोरों में बढ़ रहे एचआईवी संक्रमण को लेकर एक भयानक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017 में 0-19 साल के करीब एक लाख बच्चे एचआईवी के संक्रमण का शिकार हुए।

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ये संख्या पूरे दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा है। वहीं, एचआईवी संक्रमित बच्चों और किशोरों के मामले में दक्षिण एशिया में पाकिस्तान का दूसरा स्थान है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 5800 बच्चे संक्रमण का शिकार हैं, जबकि नेपाल और बांग्लादेश में संक्रमित बच्चों की संख्या क्रमशः 1600 और 1 हज़ार है।

दक्षिण एशिया के इस देश में हैं सबसे ज्यादा एचआईवी संक्रमित बच्चे 2विश्व संगठन यूनिसेफ की रिपोर्ट ने बच्चे, एचआईवी और एड्स: 2030 में दुनिया नामक शीर्षक से जारी की गई है. भारत में इतनी बड़ी संख्या में संक्रमण इसकी आबादी भी हो सकती है। भारत अपनी 130 करोड़ की आबादी के आंकड़े को पार कर रहा है। जिस वजह से ये आंकड़ा 1 लाख के करीब है वहीं पाकिस्तान जैसे देशों की आबादी भारत की अपेक्षा बहुत कम है.इसलिए संख्या के आधार पर वहां 5800 बच्चे संक्रमित है.

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हालांकि 1 लाख बच्चों में हुए संक्रमण को नकारा नहीं जा सकता। दक्षिण एशिया में एचआईवी संक्रमण को कम करने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं जिनसे एचआईवी संक्रमण की संख्या में कमी आई है। जैसे कि बीते 8 सालों में मां से बच्चों में होने वाले संक्रमण के मामलों में 40 फीसद की कमी आई है। वहीं, 2010 के मुकाबले 2017 में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में एचआईवी संक्रमण में 43 फीसद की कमी आई है जोकि 35 फ़ीसदी अंतरराष्ट्रीय आंकड़े से भी कम है, लेकिन आंकड़ों की ये कमी भी काफी संतोषजनक नहीं है।

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2030 तक विश्व से बच्चों तथा किशोरों के बीच एचआईवी संक्रमण को खत्म करने के प्रयास इन आंकड़ों के मुताबिक अभी पटरी पर नहीं आ सका हैं।

वहीं इस रिपोर्ट के आधार पर यूनिसेफ ने कहा है कि अगर एचआईवी संक्रमण को और कम करने की कोशिश नहीं की गई तो 2030 तक रोजाना करीब 80 किशोरों की मौत हो सकती है। बता दें, 2030 तक 14 लाख किशोरों और बच्चों में हुए इस संक्रमण को कम करने की कोशिश की जा रही है।

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2017 की इस रिपोर्ट के आधार पर यूनिसेफ प्रमुख हेनरिता फोरे ने कहा है इस रिपोर्ट से साफ है कि साल 2030 तक बच्चों और किशोरों के बीच 8 को खत्म करने की दुनिया के प्रयास अभी तक पटरी पर नहीं है।

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